मंगलवार, 18 मई 2010

अभिव्यक्ति

अभिव्यक्ति का अर्थ है --अपने को किसी भी माध्यम के द्वारा प्रस्तुत करना। अनुभूति को विस्तृत एवं विस्तारित करना ही अभिव्यक्ति है । सूक्ष्म और अप्रत्यक्ष कारण का प्रत्यक्ष कार्य में अभिव्यक्ति होती है । जैसे बीज से अंकुर का आविर्भाव होता है । कलात्मक स्थिति का ही प्रसार अभिव्यक्ति के माध्यम से होता है । कला के दो भेद हैं --ललित और उपयोगी ।वास्तु , मूर्ति , चित्र ,संगीत और काव्य ये पांच ललित कलाएं हैं। ललित कलाओं में अमूर्त -आधार की मात्रा के अनुसार उनकी श्रेष्ठ स्थिति को स्वीकार किया गया है। उपयोगी कलाओं में समस्त प्रकार की कलाओं को स्थापित किया गया है। कलाओं में पूर्णता अभिव्यक्ति के द्वारा ही प्राप्त की जा सकती है। अनुभूति जहाँ विचार रूप में स्थित है ,वहां अभिव्यक्ति कलात्मक रूप में शिल्पाकार ग्रहण करती है। यह विचार को अभिव्यक्त करने वाली कला है । अनुभूति जब स्थिर हो शुद्ध चेतना का रूप धारण करती है । तब अभिव्यक्ति अपना प्रसार प्रारम्भ करती है । अनुभूति यदि बीज है तो अभिव्यक्ति उसका अंकुरित ,प्रस्फुटित ,पुष्पित ,प्रफुल्लित एवं फलित रूप है। अनभूति के द्वारा आंतरिक लोक की परम सिद्धि प्राप्त की जा सकती है । तो अभिव्यक्ति द्वारा इह लोक में यश ,कीर्ति , वैभव ,प्रसिद्धि तथा आनंद को प्राप्त की जा सकता है। मेरी अभिव्यक्ति ही मुझे यश दिला सकती है .... ।

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